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#coaching class shedule

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आवेश क्या है? यह कितने प्रकार का होता है? आवेशन की विधियां कितनी है?

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  Success point coaching classes Ramnagar  वस्तु का आवेशन : जब किसी वस्तु के परमाणुओं में इलेक्ट्रोनों की संख्या प्रोटोनों की संख्या से भिन्न हो जाती है तो वह आवेशित हो जाती है। इलेक्ट्रॉनो की कमी हो जाने पर वस्तु धनावेशित और इलेक्ट्रॉनो की अधिकता होने पर वस्तु ऋण आवेशित हो जाती है। इलेक्ट्रॉन के आवेश के परिमाण को मूल आवेश कहते है। मूल आवेश e = 1.6 x 10^-19 कुलाम आवेशन की विधियाँ (methods of charging ) : किसी वस्तु को आवेशित करने की निम्न विधियाँ है – एक वस्तु को घर्षण , चालन , प्रेरण , ऊष्मीय उत्सर्जन , प्रकाश वैद्युत प्रभाव और क्षेत्र उत्सर्जन आदि विधियों द्वारा आवेशित किया जा सकता है। 1. घर्षण द्वारा आवेशन : दो वस्तुओ को परस्पर रगड़ने पर इलेक्ट्रॉन एक वस्तु से दूसरी वस्तु पर स्थानान्तरित हो जाते है जिससे एक वस्तु धनावेशित व दूसरी वस्तु ऋणावेशित हो जाती है।  उदाहरण के लिए काँच की छड़ को रेशम से रगड़ने पर छड धनावेशित व रेशम ऋण आवेशित हो जाता है।  बादल भी घर्षण के कारण आवेशित हो जाते है।  घर्षण द्वारा आवेशन में आवेश संरक्षण नियम का पालन होता है।  2. चालन या चालकीय विद्युतीकरण अथवा

##om ka niyam##class 12th physics

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ओम का नियम :   सन् 1827 में भौतिकी एवं तकनीकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर , जॉर्ज साइमन ओम ने   विद्युत धारा एवं विभवांतर में संबंध स्थापित करते हुए   एक नियम का  प्रतिपादिन  किया जिसे ओम का नियम कहा जाता है।  ओम के नियमानुसार –“ यदि किसी चालक की भौतिक अवस्था ( लंबाई, ताप आदि) मैं  कोई परिवर्तन ना हो तो उस में प्रवाहित  धारा उसके सिरों पर आरोपित   विभवांतर के अनुक्रमानुपाती होती है|" यदि चालक के सिरों पर लगाया गया विभवांतर V  तथा उसमें प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा I  हो, तो ओम के नियमानुसार,                                    V ∝ I                                  V = RI(ohm's law equation)  जहाँ R एक नियतांक है जिसे चालक का प्रतिरोध(resistance)   करते हैं |  प्रतिरोध का S. I मात्रक ओम(ohm) है| इसे  Ω  ( ओमेगा) से प्रदर्शित करते हैं | ओम के नियम का ग्राफीय(graph) प्रदर्शन विभवांतर और धारा के बीच ग्राफ: यदि चालक के सिरों पर लगाए गए विभवांतर V एवं उसमें प्रवाहित होने वाली धारा I के मध्य ग्राफ खींचा जाए तो एक सरल रेखा प्राप्त होती है| जो मूलबिंदु से होकर जाती है 1    यह ग्राफ द

##समविभव प्रष्ठ ## class 12th physics

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Success point coaching classes Ramnagar समविभव पृष्ठ :- किसी विद्युत क्षेत्र में स्थित वह पृष्ठ जिसके प्रत्येक बिंदु पर विद्युत विभव का मान एक समान हो, समविभव पृष्ठ कहलाता है। समविभव पृष्ठ पर किन्हीं दो बिंदुओं के मध्य विभवांतर शून्य होता है।  समविभव पृष्ठ पर किन्हीं दो बिंदुओं के मध्य विभवांतर शून्य होने के कारण किसी आवेश को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए किसी भी प्रकार का कार्य नहीं करना पड़ता है। अर्थात समविभव पृष्ठ पर किया गया कार्य शून्य होता है।  समविभव पृष्ठ पर विद्युत क्षेत्र की दिशा पृष्ठ के लंबवत होती है।  यदि किसी बिंदु आवेश q  के चारों ओर r  त्रिज्या वाले एक गोले की कल्पना करें तो उस गोले के पृष्ठ पर आवेश समान रूप से वितरित हो जाता है l जिससे उसके   पृष्ठ के प्रत्येक बिंदु का विभव V = q/4πεor होगा। समविभव पृष्ठ के गुणधर्म | Properties Of Equipotential Surface समविभव पृष्ठ के प्रत्येक बिंदु पर विभव एक समान होता है।  समविभव पृष्ठ पर किसी आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में कोई कार्य नहीं करना पड़ता।   विद्युत बल रेखाएं समविभव पृष्ठ के लंबवत होती हैं।