##समविभव प्रष्ठ ## class 12th physics

Success point coaching classes Ramnagar समविभव पृष्ठ :- किसी विद्युत क्षेत्र में स्थित वह पृष्ठ जिसके प्रत्येक बिंदु पर विद्युत विभव का मान एक समान हो, समविभव पृष्ठ कहलाता है। समविभव पृष्ठ पर किन्हीं दो बिंदुओं के मध्य विभवांतर शून्य होता है। 

समविभव पृष्ठ पर किन्हीं दो बिंदुओं के मध्य विभवांतर शून्य होने के कारण किसी आवेश को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए किसी भी प्रकार का कार्य नहीं करना पड़ता है। अर्थात समविभव पृष्ठ पर किया गया कार्य शून्य होता है। 

समविभव पृष्ठ पर विद्युत क्षेत्र की दिशा पृष्ठ के लंबवत होती है। 

यदि किसी बिंदु आवेश q  के चारों ओर r  त्रिज्या वाले एक गोले की कल्पना करें तो उस गोले के पृष्ठ पर आवेश समान रूप से वितरित हो जाता है l जिससे उसके   पृष्ठ के प्रत्येक बिंदु का विभव V = q/4πεor होगा।

समविभव पृष्ठ के गुणधर्म | Properties Of Equipotential Surface


  1. समविभव पृष्ठ के प्रत्येक बिंदु पर विभव एक समान होता है। 

  2. समविभव पृष्ठ पर किसी आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में कोई कार्य नहीं करना पड़ता। 

  3.  विद्युत बल रेखाएं समविभव पृष्ठ के लंबवत होती हैं।    

  4.  दो समविभव पृष्ठ एक दूसरे को कभी नहीं काटते ।क्योंकि यदि काटेंगे तो कटान बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की दो दिशाएं प्राप्त होगी। या विद्युत विभव के दो मान होंगे जो कि संभव नहीं है। 

  5. किसी चालक का पृष्ठ सदैव समविभव पृष्ठ होता है l                                                   

                     #  समविभव पृष्ठ    

         प्रश्न १. समविभव पृष्ठ से आप क्या समझते हैं? इसके गुण लिखिए।

उत्तर - वह पृष्ठ जिसके सभी बिंदुओं पर विभव एक समान होता है समविभव पृष्ठ कहलाता है |

गुण - १. पृष्ठ के प्रत्येक बिंदु पर विभव एक समान होता है।

२. एकांक धन आवेश को इस पृष्ठ की एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में कोई कार्य नहीं करना पड़ता।

३. विद्युत बल रेखाएं समविभव पृष्ठ की लंबवत होती हैं।

४. दो समविभव पृष्ठ एक दूसरे को कभी नहीं  काटते। 

 

प्रश्न २. पृथ्वी का विभव शून्य माना जाता है क्यों? धनात्मक एवं ऋणात्मक विभव से क्या तात्पर्य है?

उत्तर-पृथ्वी का विभव शून्य माना जाता है  क्योंकि पृथ्वी एक विशाल चालक है इसे कितना भी आवेश दिया जाए फिर भी इसे आवेशित नहीं किया जा सकता।

    यदि किसी वस्तु का विभव पृथ्वी के विभव से अधिक है तो उसे धनात्मक विभव कहते हैं। और यदि किसी वस्तु का विभव पृथ्वी के विभव से कम है तो उसे ऋणात्मक विभव कहते हैं।

प्रश्न ३. खोखले चालक के अंदर प्रत्येक बिंदु पर विभव एक समान होता है क्यों?

उत्तर - जब किसी खोखले चालक को आवेशित किया जाता है तो सम्पूर्ण आवेश उसके बाह्य पृष्ठ पर सामान रूप से वितरित हो जाता है चालक के अंदर कोई आवेश नहीं होता अर्थात चालक के अंदर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता शून्य होती है। अतः खोखले चालक के अंदर एकांक धन आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में कोई कार्य नहीं करना पड़ता इस कारण चालक के अंदर प्रत्येक बिंदु पर विभव एक समान होता है।

प्रश्न ४. क्या यह संभव है कि किसी बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता शून्य हो किंतु विभव शून्य न हो?

उत्तर - हां, यह संभव है l आवेशित खोखले गोले के अंदर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता शून्य होती है किंतु उसके अंदर प्रत्येक बिंदु पर विभव एक समान तथा पृष्ठ के विभव के बराबर होता है l

प्रश्न ५. क्या यह संभव है कि किसी बिंदु पर विद्युत विभव शून्य हो किंतु विद्युत क्षेत्र की तीव्रता शून्य ना हो?

उत्तर- हां,यह संभव है। द्विध्रुव की निरक्षीय स्थिति पर विद्युत विभव शून्य होता है किंतु विद्युत क्षेत्र की तीव्रता शून्य नहीं होती।

प्रश्न ६.किसी चालक के विभव को प्रभावित करने वाले कारकों के नाम लिखिए l यह कारक किस प्रकार विभव को प्रभावित करते हैं?

उत्तर - किसी चालक के विभव को प्रभावित ,,   करने वाले कारक निम्न हैं-

१. आवेश की मात्रा - किसी चालक को जितना अधिक आवेश दिया जाता है उसका विभव उतना ही अधिक होता है।

२. चालक का क्षेत्रफल - आवेश स्थिर रहने पर चालक कभी भाव उसकी क्षेत्रफल के विरूद्ध प्रमाण पति होता है अर्थात क्षेत्रफल बढ़ा देने पर विभव कम हो जाता है।

३.आवेशित चालक के समीप अन्य चालक की उपस्थिति - आवेशित चालक के समीप अन्य चालक को लाने पर आवेशित चालक का विभव कम हो जाता है।

४.चालक के परित:माध्यम -  चालक की परित: वायु के अतिरिक्त अन्य माध्यम होने पर उसका वि कम हो जाता है।

                    पता - मसमासी रोड़ रामनगर,                                      Mobile no 78692555417

 



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