परावर्तक दूरदर्शी

 परवर्ती दूरदर्शी (Reflecting telescope)      इस दूरदर्शी में अभिदृश्यक के रूप में दर्पण का उपयोग किया जाता है।

 यह दो प्रकार का होता है 

. कैसेग्रेनियन दूरदर्शी (Cassegrainian telescope)

इस प्रकार के दूरदर्शी में अवतल दर्पण के केंद्र में एक छिद्र होता है। इसके फोकस F के पास एक छोटा द्वितीयक उत्तल दर्पण M रखा होता है। नेत्रिका E दूरदर्शी के अक्ष पर दर्पण के ठीक पीछे स्थित होता है।

दूरस्थ वस्तुओं से आने वाली समान्तर किरण अवतल दर्पण से परावर्तन के पश्चात फोकस की ओर अभिसरित होती हैं। यह दर्पण किरणों को एकत्रित कर नेत्रिका E के सामने वस्तु का प्रतिबिंब बनाता है।

  

   By - Ram ji kushwaha [ 7869255417]

                          

                               अथवा


कैसेग्रेनियन दूरदर्शी (Cassegrainian Telescope)

इसमें बड़े द्वारक के अवतल दर्पण का प्रयोग किया जाता है जिसके केंद्र में एक वृताकार छिद्र होता है ।एक छोटे उत्तल दर्पण को दूरदर्शी के अभिदृश्यक दर्पण के आगे रखा जाता है ।अंतिम प्रतिबिम्ब को अभिदृश्यक दर्पण के छिद्र के सामने रखे अभिनेत्र लेंस में से देखा जाता है।

 

जब दूरस्थ वस्तु से आने वाली प्रकाश की समान्तर किरण का पुंज अभिदृश्यक दर्पण पर गिरता है तो यह इसे मुख्य फोकस पर अभिसरित कर देता है ।परावर्तित प्रकाश पुंज उत्तल दर्पण पर आपतित होता है ।उत्तल दर्पण द्वारा एक उल्टा प्रतिबिम्ब बनता है जिसे अभिनेत्र लेंस में से देखा जाता है ।


  

न्यूटोनियन दूरदर्शी (Newtonian Telescope)


इस दूरदर्शी में एक अधिक फोकस दूरी एवं बड़े द्वारक का अवतल दर्पण होता है जिसे अभिदृश्यक दर्पण कहते है ।इस दर्पण को एक धात्विक नली के एक सिरे पर रखा जाता है जिसका दूसरा सिरा खुला होता है  । एक समतल दर्पण को नली की अक्ष से 45° के कोण पर रखा जाता है । अंतिम प्रतिबिम्ब को नली के एक सिरे पर रखे गए अभिनेत्र लेंस से देखा जाता है ।


क्रियाविधि


किसी दूरस्थ वस्तु से प्रकाश की  समान्तर किरण अभिदृश्यक दर्पण पर आपतित होता है ।अवतल दर्पण से परावर्तित प्रकाश समतल दर्पण पर आपतित होता है ।समतल दर्पण द्वारा प्राप्त प्रतिबिम्ब को अभिनेत्र लेंस द्वारा आवर्धित कर देखा जाता है ।

 

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